क्या आप जानते हैं कि भारत की खोज किसने की थी (Bharat Ki Khoj Kisne Ki Thi). एक जमाना था जब भारत के पास इतना धन और खजाना था कि भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। बड़े-बड़े देशों से व्यापारी भारत में व्यापार करने के लिए आते थे और यहां से बहुत सारा धन कमाकर अपने देश ले जाते थे।
इतिहासकरों का कहना है कि भारत अन्य देशों के मुकाबले पहले बहुत समृद्ध था। और दुनियाभर के देशो की भारत पर नजर थी। आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि भारत की खोज किसने की थी और कब की थी?
भारत की खोज किसने की थी – Bharat Ki Khoj Kisne Ki Thi
भारत की खोज वास्को डिगामा ने 20 मई 1498 में की थी। वास्को डिगामा एक पुर्तगाल का नाविक था जो समुद्री मार्ग से सर्वप्रथम भारत आया था। वास्कोडिगामा अपने चार नाविकों के साथ 20 मई 1498 में केरल के कालीकट बन्दरगाह पहुंचा था।
कई लोगो के मन में यह सवाल जरुर चल रहा होगा कि भारत की खोज से पहले भारत पृथ्वी पर था ही नहीं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। वास्को डी गामा ने समुद्री मार्ग से भारत की खोज की है। उस ज़माने में राजा जमोरिन थे जो वास्कोडिगामा का भारत में स्वागत किया और उसे भारत में व्यापार की अनुमति प्रदान की।
वास्कोडिगामा ने भारत की खोज कैसे की?
वास्कोडिगामा ने आपनी यात्रा की शुरुरात 8 जुलाई 1497 को पुर्तगाल के शहर से की उसके साथ चार जहाज जिसमे लगभग 170 लोग थे। पुर्तगाल से निकलने के बाद उनका जहाज कैनरी द्वीप पंहुचा जो मोरक्को देश में स्थित है। यहाँ पर उनका समूह रुकने का फैसला लिया और वो अगस्त तक यहीं रुके रहे।
वास्कोडिगामा अपने जहाज पर बहुत सारे पत्थरों के स्तंभ लेकर यात्रा शुरू की थी इन स्तंभों की मदद से वो मार्ग को चिन्हित करते जा रहे थे। जहाँ पर उन्हें महत्वपूर्ण स्थान मिलते जाते वो स्तंभों की मदद से चिन्हित कर देते। गिनी की खाड़ी के पास तेज समुद्र की धाराएँ चल रही थी जिससे बचने के लिए वास्कोडिगामा ने अटलांटिक महासागर का एक बड़ा चक्कर लगते हुए कैप ऑफ गुड होप की ओर मुड़ गए।
भारत की खोज में उनका ये पहला मोड़ था। लेकिन उस समय मौसम की खराबी के कारण उनकी यात्रा में 22 नवंबर तक देरी हो गई। हालाँकि कुछ दिनों के बाद मौसम ठीक हो गया और उन्होंने फिर कैंप ऑफ गुड होप का दौरा किया। 8 दिसंबर को कैंप ऑफ गुड होप से अपनी जहाज लेकर यात्रा प्रारंभ की और दक्षिण अफ्रीका के नटाल तट पर पहुंच गए।
इस यात्रा के दौरान कई छोटी बड़ी नदियाँ को पर करते हुए वास्कोडिगामा अपने टीम के साथ 2 मार्च 1498 स्वीको मोजांबिक द्वीप पर पहुच गए। इसके बाद उन्होंने मोजांबिक की धरती पर उतरने का फैसला लिया और वहां के निवासियों से बात चीत करने लगे। वहां के सभी निवासी मुसलमान थे। वास्कोडिगामा ने वहां पर समुद्र के किनारे लगे लंगर गांव पर चांदी मसाले और सोने से भरे हुए कुछ जहाजों को देखा तो विश्वास हो गया कि वो लोग व्यापार करने के लिए उचित दिशा में रहे है।
इसके बाद 7 अप्रैल 1498 को उनका बेड़ा मालिंदी में पंहुचा। जहाँ पर उन्होंने कांजी मालम नामक एक गुजराती नाभिक मुलाकात की। गुजराती नाभिक से कालीकट जाने का रास्ता पूछकर यात्रा की शुरुआत कर दी। लगातार 20 दिन हिन्द महासागर की यात्रा करने के बाद 20 मई 1498 को भारत के दक्षिण पश्चिम स्थित कालीकाट बंदरगाह पहुच गए।
वास्कोडिगामा का पुर्तगाल में वापसी?
वास्कोडिगामा ने 2 साल की लंबी यात्रा करने के बाद 18 सितंबर को लिस्बन लौट आए। इस यात्रा के दौरान उन्होंने लगभग 38600 किलोमीटर का सफ़र किया। इस यात्रा की शुरुआत उन्होंने 170 लोगो के साथ किया था जिसमें से 116 लोगो की यात्रा के दौरान ही मौत हो गई थी जिसमे से कुल 54 लोग ही बचे थे।
पुर्तगाल के राजा ने वास्कोडिगामा की इस उपलब्धि से कुछ होकर कुछ पुरुस्कार दिए और उन्हें 1502 ईस्वी में दोबारा भारत की यात्रा करने के लिए भेजा। पहली यात्रा में वास्कोडिगामा ने भारत से कुछ मसाले और रेशम लेकर पुर्तगाल गए थे। इतिहासकारों का कहना है कि वास्कोडिगामा ने अपनी यात्रा में खर्च हुए पैसों से 4 गुना से अधिक पैसे उन्होंने केवल मसाले बेचकर कमाई की थी।
वास्को डीगामा की तीसरी भारत यात्रा के दौरान मृत्यु हो गई थी। 55-56 वर्ष की उम्र में 24 दिसंबर 1524 को कोच्ची भारत में उनका निधन हो गया। दरसल वास्को डीगामा मलेरिया की चपेट में आ गए थे जिससे उनका निधन हो गया। वास्कोडिगामा की खोज पूरे यूरोप में फैल गई थी फलस्वरुप अन्य व्यापारी इसी समुद्री मार्ग के जरिए भारत में व्यापार करने लगे।
भारत का समुद्री मार्ग खोजने से व्यापार में फायदा
वास्कोडिगामा द्वारा समुद्री मार्ग की खोजने से भारत में व्यापार करने में बहुत आसान हुआ। इस मार्ग की मदद से चीन और अन्य देशो तक भारत के मसाले, चांदी, सोने, रेशम आदि का व्यापार करना आसान हो गया। पश्चिमी देशों के व्यापारियों को भी भारत में निवेश करने की उत्सुकता बड़ी और भारत को एक बड़ा उपनिवेश बना लिया।
FAQs – Bharat Ki Khoj Kisne Ki
भारत की खोज वास्कोडिगामा ने 20 मई 1498 में की थी।
वास्कोडिगामा के जहाजों का नाम सैन गैब्रिएल, साओ राफाएल और बेरियो था।
वास्कोडिगामा का जन्म 1469 ईवी. में पुर्तगाल के साइनेस के एक किले में उनका जन्म हुआ था।
वास्कोडिगामा की मृत्यु 24 दिसंबर 1524 को कोच्ची भारत हुई थी।
वास्को डी गामा एक पुर्तगाली था जो 2 हजार मील का सफर करके 20 मई 1498 को कालीकट तट केरल पहुंचे थे।
निष्कर्ष
मुझे उम्मीद है आपको यह पोस्ट भारत की खोज किसने की थी (Bharat Ki Khoj Kisne Ki Thi) जरुर पसंद आयी होगी। अब आप जान गए हैं कि भारत की खोज वास्कोडिगामा ने 20 मई 1498 में की थी। वास्कोडिगामा की इस खोज से समुद्र मार्ग के द्वारा भारत में व्यापार की गतिविधियां तेज हो गई। यदि आपके मन में इस पोस्ट से जुड़े कोई सवाल या सुझाव हैं तो नीचे कमेंट करके जरुर बताएं।
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