भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय, इस एक तरीका से 1 दिन में ठीक

भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय – भगन्दर बहुत पीड़ादयक रोग है। यह रोग मरीज के गुदा के अंदर और बाहर फोड़ा जैसे हो जाता है। भगंदर के रोगियों को मल त्यागने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

जब किसी व्यक्ति को भगंदर रोग होता है तो वह बहुत चिंतित हो जाता है। हालांकि दैनिक जीवन में बदलाव करके और घरेलू उपचार अपनाकर भी भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज किया जा सकता है।

आज के इस पोस्ट में हम जानेगे कि भगंदर क्या है, इससे कारण, लक्षण और भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय क्या-क्या है।

भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय

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भगंदर क्या है – What is Fistula in Hindi

भगंदर को अंग्रेजी में फिस्टुला (Fistula) कहा जाता है। यह रोग मानव गुदा में होने वाला एक गंभीर रोग है। भगन्दर होने पर पीड़ित व्यक्ति के गुदा द्वार में या उसके आस पास छोटी-छोटी फुंसियां हो जाती हैं, और धीरे-धीरे घाव का रूप लेने लगती है।

भगंदर से ग्रास्तित व्यकित का जीवन बहुत कष्टदायक हो जाता है उसे चलने-फिरने, उठने-बैठने और मल त्याग करते समय असहनीय दर्द होता है।

भगंदर के रोगियों के गुदा के आसपास स्थान पीला पड़ जाता है। और कुछ दिनों के बाद भगंदर दोमुखी बन जाता है अर्थात अपना मुह दूसरी तरफ कर लेता है। अगर समय रहते भगंदर का इलाज न किया जाए तो कैंसर का रूप भी ले सकता है।

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भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय – Bhagandar Ka Ilaj

अगर किसी मरीज का भगंदर का प्रारंभिक अवस्था में है तो कुछ घरेलू नुख्से अपनाकर इसे ठीक किया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं कि भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय और घरेलू उपचार कौन-कौन से हैं-

1.) भगंदर का देसी इलाज में गुनगुने पानी से सिकाई

भगंदर का देसी इलाज करने के लिए गुनगुने पानी से सिकाई करना बहुत फायदेमंद माना जाता है। भगंदर के मरीजों को अपने गुदा भाग पर गुनगुने पानी से सिंकाई करना चाहिए, इससे होने वाले दर्द में राहत मिलती है।

2.) भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय है टी ट्री ऑयल

टी ट्री ऑयल में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं जो भगंदर के जख्म को भरने में कारगर माने जाते हैं। भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय करने के लिए एक चम्मच जैतून का तेल और एक चम्मच टी ट्री ऑयल को एक साथ मिश्रण तैयार कर लें।

अब इस मिश्रण को एक कॉटन के कपड़े की मदद से भगंदर वाली प्रभावित जगह पर लगाएं। इस प्रक्रिया को रोजाना कुछ दिनों तक करने से भगंदर ठीक हो जाता है।

(और पढ़ें – जैतून का तेल के फायदे)

3.) भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज है अनार

अनार एक बेहतरीन फल है जो शरीर में खून की मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ कई बीमारियों को दूर करने में मदद करता है। अनार की पात्तियां भी बहुत गुणकारी होती हैं जो भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज करने में सक्षम है।

इसके लिए अनार के पत्ते को पानी में उबाल लें। अब इस पानी से के भगंदर से प्रभावित क्षेत्र को धोने से बहुत आराम मिलता है।

4.) भगंदर का देसी इलाज है लहसुन

लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट और जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं जो शरीर को कई लोगो से बचाने में मदद करते हैं।

भगंदर का देसी इलाज करने के लिए लहसुन को पीसकर घी में भून लें। अब इस मिश्रण को उसे भगंदर से प्रभावित जगह पर लगायें।

(और पढ़ें – लहसुन खाने के फायदे)

5.) फिस्टुला का स्थाई इलाज है केला और कपूर

केले में पाए जाने वाले पोषक तत्व शारीरिक कमजोरी दूर करके ऊर्जा प्रदान करने में मदद करते हैं। फिस्टुला का स्थाई इलाज करने के लिए केला बहुत कारगर माना जाता है।

इसके लिए पके हुए केले के बीच में चीरा लगाकर कपूर रखकर सेवन करें। इस प्रक्रिया को करने से पहले ध्यान रहे कि एक घंट पहले और बाद में किसी अन्य चीज का सेवन न करें।

6.) भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय है काली मिर्च

काली मिर्च के औषधीय गुण शरीर के कई रोगों को दूर रखने में मदद करते है साथ ही भगंदर को ठीक करने में भी सक्षम होते हैं।

भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय करने के लिए काली मिर्च और लाजवंती को पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को फिस्टुला से प्रभावित जगह पर लगाएं।

(और पढ़ें – काली मिर्च के फायदे)

7.) भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज है त्रिफला

त्रिफला एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका इस्तेमाल करने से अनेकों फायदे मिलते हैं। भगंदर का बिना ऑपरेशन इलाज करने के लिए त्रिफला से हाथ धोने के बाद उस पर बिल्ली या कुत्ते की हड्डी का चूर मिलाकर फिस्टुला से प्रभावित क्षेत्रों पर लगायें।

8.) फिस्टुला का स्थाई इलाज है पत्तागोभी

पत्तागोभी को प्रोटीन और फाइबर का उच्च स्त्रोत माना जाता है जिसका सेवन करने से मल त्याग करते समय कठिनाई नहीं होती। फिस्टुला का स्थाई इलाज करने के लिए पत्ता गोभी का सूप बनाकर पी सकते हैं।

सूप बनाने के लिए सबसे पहले कटी हुई पत्ता गोभी को पानी में डालकर उबाल लें। उबलने के बाद जब पानी का रंग पूरी तरह से बदल तो इस पानी को छान लें। उसके बाद इस मिश्रण में काला नमक और सोंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।

9.) भगंदर का देसी इलाज पपीता

भगंदर के मरीजों के लिए पपीता बहुत लाभकारी माना जाता है। पपीता के सेवन से कब्ज दूर होता है और मल त्याग करने में आसानी होती है।

भगंदर का देसी इलाज करने के लिए एक पके हुए पपीते छीलकर अच्छे से साफ़ कर लें। उसके बाद छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें और इसका सेवन करें।

10.) भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय है नीम

भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय करने के लिए नीम की पत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए नीम की पत्तियों को उबालकर इसका पेस्ट बना लें और इसे भगंदर पर लगायें। इसके अलावा नीम की पत्ती, देशी घी और तिल बराबर मात्रा में पीस लें।

और फिर इसमें जौ का आटा मिलाकर पेस्ट तैयार करें। अब इस पेस्ट को एक कपड़े में बांधकर भगंदर वाले जगह पर बांधकर रखे , इससे बहुत आराम मिलता है।

(और पढ़ें – एसिडिटी को जड़ से खत्म करने के उपाय)

भगंदर के लक्षण – Symptoms of Fistula in Hindi

भगंदर के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं –

  • गुदा में बार-बार फोड़े होना।
  • गुदा के आसपास दर्द और सूजन होना।
  • मल त्यागते समस्या खून का निकलना।
  • शौंच के करते समय दर्द होना।
  • रोगी को उठते-बैठते और खांसते समय गुदा में दर्द होना।

भगंदर के कारण – Causes of Fistula in Hindi

भगंदर कई कारणों से हो सकता है जैसे –

  • गुदा द्वार की ठीक तरह से सफाई न होने से।
  • गुदा द्वार पर चोट लगने से।
  • एक जगह पर लंबे समय तक बैठे रहना।
  • अनुवांशिक कारण।
  • लम्बे समय तक कब्‍ज या एसिडिटी होना।
  • पेट खराब रहना।

भगंदर को जड़ से खत्म करने की दवा

भगंदर को जड़ से खत्म करने की दवा के रूप में दिव्य अर्शकल्प वटी का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह दवाई बाबा रामदेव द्वारा संचालित पतंजलि स्टोर में आपको मिल जायेगी।

दिव्य अर्शकल्प वटी दवा को कई सारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से तैयार किया गया है जिसका सेवन करने से पाचन शक्ति तंदुरस्त होती हैं और भगंदर रोग में आराम मिलता है। एलोपैथी में भी कई सारी भगंदर को जड़ से खत्म करने की दवा उपलब्ध है। लेकिन जब कोई दवा काम नहीं करती, तब इसका इलाज ऑपरेशन द्वारा किया जाता है।

भगंदर का होम्योपैथिक इलाज

होम्योपैथिक दवाइयों से भगंदर का इलाज किया जा सकता है। होम्योपैथिक का दवाइयों सबसे अच्छा फायदा यह होता है कि इसके कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होते हैं या फिर न के बराबर होते हैं। तो चलिए जानते हैं कि भगंदर को ठीक करने का होम्योपैथिक दवाइयां कौन-कौन सी हैं।

(1) हिपर सल्फर 6, 30m

भगंदर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज हिपर सल्फर दवा से किया जा सकता है। यह होम्योपैथिक दवा खासकर उन रोगियों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है जिन्हें भगंदर की वजह से तेज दर्द होता है। इस दवा का नियमित रूप से कुछ दिनों तक सेवन करने से भगंदर ठीक होने लगता है।

(2) सिलिसिया 200m

भगंदर का होम्योपैथिक इलाज में सिलिसिया 200m दवा का सेवन कर सकते हैं। भगंदर के मरीजों को चलने-फिरने और मल त्याग करने में अत्यधिक दर्द होता है, इससे छुटकारा पाने के लिए होम्योपैथिक दवा सिलिसिया का सेवन कर सकते हैं। जैसे ही आप नियमित रूप से इस दवा का सेवन करेंगे तो धीरे-धीरे भगंदर दूर होने लगेगा।

(3) सल्फर 30, 200m

भगंदर से पीड़ित मरीज होम्योपैथिक दवा सल्फर 30, 200m का सेवन कर सकते हैं। भगंदर होने पर रोगी के मलद्वार में सूजन आ जाती है तथा मल त्याग करने में असहनीय पीड़ा होती है। सल्फर 30 का सेवन करने से भगंदर का सूजन और उसका प्रभाव धीरे-धीर कम होने लगता है।

(4) मिरिस्टिका 3x

ऐसे भगंदर के मरीज जिनका सल्फर खाने के बाद भी भगंदर रोग कम नहीं होता है ऐसे मरीज को डॉक्टर मिरिस्टिका 3X खाने की सलाह देता है। भगंदर रोग होने पर रोगी हो असहनीय पीड़ा होती है ऐसे रोगियों को ज्यादा परेशानी होने पर डॉक्टर पर्ची में इस दवाई को लिखते हैं और खाने की सलाह देते हैं।

FAQs -भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय

भगंदर बीमारी में क्या खाना चाहिए?

भगंदर के मरीज को अपने खानपान में विशेष ध्यान देना चाहिए जैसे अनाज में (गेहूं, जौ, पुराना शाली चावल), दाल में (अरहर, मूँग दाल, मसूर), फल और सब्जियां (हरी सब्जियां, पपीता, लौकी, तोरई, परवल, बथुआ, करेला, कददू, मौसमी सब्जियां, मूली के पत्ते, मेथी, साग, सूरन, अमरूद, केला, सेब, आंवला, खीरा) का सेवन कर सकते हैं।

भगंदर होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

भगन्दर के रोगियों को कुछ चीजों का परहेज करना चाहिए जैसे अनाज में (मैदा, नया चावल, समोसा, पराठा, चाट, पापड़,छोले, राजमा,सोयाबीन), दाल में (मटर, काला चना, उड़द), फल और सब्जियां (आलू, शिमला मिर्च, कटहल, बैंगन, अरबी, आड़ू, कच्चा आम) का सेवन न करें।

फिस्टुला कितने दिन में ठीक होता है?

फिस्टुला की सर्जरी होने के बाद जख्म को भरने में 6 सप्ताह से लेकर 3 माह तक का समय लग जाता है।

भगंदर की पहचान कैसे करें?

भगंदर की पहचान करने में निम्न लक्षणों को देखकर कर सकते हैं जैसे शौच करते समय दर्द होना, गुदा क्षेत्र में बार-बार फोड़े होना, गुदाद्वार से रक्त बहना, मल त्यागने में कठिनाई होना।

भगंदर का देसी इलाज क्या है?

लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट और जीवाणुरोधी गुण मौजूद होते हैं। लहसुन को पीसकर घी के साथ भून लें। अब इस मिश्रण को उसे भगंदर से प्रभावित जगह पर लगायें।

निष्कर्ष

मुझे उम्मीद है आपको यह पोस्ट भगंदर को जड़ से खत्म करने का उपाय (Bhagandar Ka Ilaj) जरुर पसंद आया होगा। इस पोस्ट में हमने भगंदर का देसी इलाज के साथ-सस्थ भगंदर को जड़ से खत्म करने की दवा के बारे में भी बताया है।अगर आपके मन में इस पोस्ट से जुड़े कोई सवाल या सुझाव हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट जरूर करें।

नोट – इस पोस्ट में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. इसलिए इस पर अमल करने से पहले किसी डॉक्टर या विशेषज्ञ की परामर्श जरूर लें।

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2 Comments

  1. Harendra Kumarsays:

    I am a fistula patient for last 5 years and I undertook 3 times kshar sutra operation and one time laser operation. Now again it started

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