क्या आप जानते है ई-कॉमर्स क्या है (What Is E Commerce In Hindi) और इसके फायदे तथा नुकसान क्या है? जब से इन्टरनेट आया है,तब से बाजार और उद्योंग -धंधो में काफी बदलाव देखने को मिला है. इन्ही बदलाव में से एक है ई-कॉमर्स जो एक लहर की तरह उठा और उद्योंग -धंधो के क्षेत्र में पूरी तरह बदलकर रख दिया. आज के इस पोस्ट में हम इसी टॉपिक पर बात करेंगे.
ई-कॉमर्स क्या है ? (What is E-Commerce in Hindi)
जब कोई उद्योंग-धंधा इन्टरनेट के द्वारा किया जाता है उसे ई-कॉमर्स या इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कहते है. आसान भाषा में समझे तो जब कोई कंपनी अपने प्रोडक्ट या सर्विसेज कस्टमर को इन्टरनेट के द्वारा पहुचाती है उसे ई-कॉमर्स कहते है. इस प्लेटफार्म पर कस्टमर ऑनलाइन सामान खरीदते या बेचते है, सामान का बिल ऑनलाइन बन जाता है और बिल भुकतान भी ऑनलाइन करते है. भारत में ई-कॉमर्स की कुछ लोकप्रिय वेबसाइट है जैसे Flipkart, Paytm,Amazon इत्यादि.
आपने इन ई-कॉमर्स वेबसाइट पर देखा होगा सेलर अपना समान यहाँ ऑनलाइन बेचते है और ग्राहक भी चंद सेकंडो में सामान खरीद लेते है, फिर ग्राहक का Delivery Address सेलर के पास पहुच जाता है और वह सामान ग्राहक के पते पर भेजवा देता है. यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन इन्टरनेट से होती है. E-Commerce की शुरुआत सन 1960 में हुई थी, जिसके परिणामस्वरुप eBay और Amazon इन्टरनेट की मदद से ई-कॉमर्स में एक क्रांति लायी.
ई-कॉमर्स के प्रकार (Types of E-Commerce in Hindi)
ई-कॉमर्स को निम्न चार भागो में बाटा गया है-
(1) Business-to-Consumer (B2C) :-
इस प्रकार के बिसनेस में उद्योंगपति या कंपनी अपना प्रोडक्ट या सर्विसेज इन्टरनेट के माध्यम से सीधे ग्राहक तक पहुचाती है. B2C आजकल ज्यादा प्रचलन में है. उदाहरण के तौर पर आप Flipkart, Paytm,Amazon को देख सकते है.
(2) Business-to-Business (B2B): –
यहाँ पर एक कंपनी इन्टरनेट के द्वारा दूसरी कम्पनी को अपना प्रोडक्ट या सर्विसेज प्रदान करती है. B2B काफी बड़ा बिसनेस होता है जिसमे ग्राहक का संपर्क नहीं होता.
(3) Consumer-to-Consumer (C2C) :-
जब इन्टरनेट पर एक ग्राहक अपने प्रोडक्ट या सर्विसेज को दूसरे ग्राहक को बेचता है उसे C2C कहते है. उदाहरण के तौर पर ग्राहक अपना मोबाइल, गाड़ी या दूसरा सामान इन्टरनेट पर किसी दूसरे ग्राहक को बेचता है. C2C ट्रैन्सैक्शन थर्ड पार्टी के द्वारा किया जाता है जैसे अपने भारत देश में OLX कंपनी है जहा पर लोग अपने पुराने सामान को ऑनलाइन बेचते है.
(4) Consumer-to-Business (C2B) :-
इस बिसनेस में ग्राहक और कंपनी के बीच आदान-प्रदान होता है. इसका उदाहरण से समझते है, एक ग्राहक को वेबसाइट बनवाना है तो इसके लिए वह कई कंपनियों से बातचीत करेगा और जिस कम्पनी का अच्छा ऑफर रहेगा उसे वेबसाइट बनाने का काम देगा. इसी प्रकार से Tourism Packages, Insurance Policy C2B के उदाहरण हो सकते है.
यह भी पढ़े-
विज्ञापन क्या है – What is advertisement in Hindi
Tally क्या है – What is Tally in Hindi
ई-कॉमर्स के फायदे (Advantages of E-Commerce)
(1 ) सुविधाजनक – इस भाग दौर की ज़िन्दगी में ग्राहक अपनी जरूरतों के अनुसार किसी भी समय, कही से आर्डर कर सकता है. सामान उसके पते पर पहुच जाता है. यह एक अच्छा माध्यम है जिससे समय की बचत होती है.
(2) प्रोडक्ट का उचित मूल्य – ऑनलाइन शौपिंग करते समय ग्राहक एक सामान का मूल्य अलग- अलग वेबसाइट में देख सकते है. बहुत सी वेबसाइट होती है जो समय- समय पर अपने ग्राहक को ऑफर प्रदान करती है, जिससे समान कम दाम में मिल सकते है.
(3) स्टापर्ट-अप के लिए आसानी – कई लोग ऐसे होते है जो बिसनेस करना चाहते है लेकिन अच्छी जगह पर दुकान खोलना काफी महगा हो जाता है. ऐसे लोगो को ई-कॉमर्स की और रुख बदलना चाहिए और अपने प्रोडक्ट या सर्विसेज को ऑनलाइन सेल करना चाहिए.
(4) ज्यादा ग्राहक तक पहुच – एक दुकान की पहुच सीमित ग्राहक तक होती है जबकि इन्टरनेट के माध्यम से सेलर अपने प्रोडक्ट या सर्विसेज को दुनियाभर के ग्राहक तक पंहुचा सकता है.
(5) विभिन्न प्रोडक्ट बेचने की क्षमता – एक दुकान मे सेलर सीमित सामान रखकर बेच सकता है. जबकि इन्टरनेट के माध्यम से एक साथ कई प्रकार के प्रोडक्ट को बेचा जा सकता है.
ई-कॉमर्स के नुकसान (Disadvantages of E-Commerce)
(1) ख़राब प्रोडक्ट होना – कई बार ऐसा होता है की जब प्रोडक्ट हमारे पते पर पहुचता है तो ख़राब निकलता है जैसे प्रोडक्ट का टूटना, आर्डर वाले प्रोडक्ट की जगह दूसरा प्रोडक्ट होना और अभी हाल में ही सुनने में आया था की एक ग्राहक ने I phone 6 ऑनलाइन आर्डर किया था और जब प्रोडक्ट डिलीवर हुआ तो उसमे कपड़ा धोने वाला साबुन निकला था.
(2) बेकार कस्टमर सर्विस – कभी कभी गलत प्रोडक्ट या ख़राब प्रोडक्ट आने से उसकी शिकायत दर्ज करने पर कस्टमर सर्विस सही नहीं मिल पाती. इस कारण से ग्राहक का समय और पैसा दोनों बर्बाद हो जाता है.
(3) प्रोडक्ट देरी से पहुचना – कई बार ऐसा होता है की ग्राहक के पास प्रोडक्ट पहुचने के काफी समय लग जाता है. समय पर प्रोडक्ट ना पहुचने के कारण उसे परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
(4) हैकिंग का खतरा – प्रोडक्ट की ऑनलाइन खरीददारी करते समय हमे मोबाइल नंबर,ईमेल एड्रेस और क्रेडिट कार्ड की गोपनीय जानकारी देनी पडती है. ऐसे में कभी कभी इनफार्मेशन चोरी होने का डर रहता है, इसलिए भरोशेमंद शौपिंग वेबसाइट से ही शौपिंग करें.
मुझे उम्मीद आपको यह पोस्ट ई-कॉमर्स क्या है (What Is E Commerce In Hindi) जरुर पसंद आई होगी. यदि इस पोस्ट से जुड़े आपके मन में कोई Doubts या Suggestion है तो निचे comment बॉक्स में जरुर कमेंट करें और सोशल मीडिया पर भी शेयर करें जिससे और लोगो ई-कॉमर्स के बारे में सही जानकारी मिलेगी.
[rating_form id=”1″]
hello vijay ,
such a great article thanks for sharing , can you tell me , wich is best cms to create e commerce website ,
thanks again for sharing this wonderful article with us
Hi Ranjot,
Magento is best free CMS to create E- Commerce website.
Nice article about e – commerce in hindi.