क्या आप जानते हैं कि प्रोटॉन की खोज किसने की थी (Proton Ki Khoj Kisne Ki Thi).प्रोटोन बहुत छोटे होते है जिन्हें साधारण आँखों से देखना संभव नहीं है। शुरुआत जब परमाणु की खोज की गई तब उसे सबसे छोटा कण माना जाता था। लेकिन बाद में इसमें कई शोध किये गए तब पता चला कि इसके अन्दर इलेक्ट्रान, प्रोटोन, न्यूट्रॉन मौजूद है।
परमाणु के केंद्र में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन मौजूद होते हैं जिससे नाभिक कहा जाता है और इसी नाभिक के चारो ओर इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते हैं।आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे विस्तार से बताएँगे कि प्रोटॉन क्या है और इसकी खोज अब और किसने की थी।
प्रोटॉन क्या है – What is Proton in Hindi
प्रोटॉन एक धनावेशित उप-परमाणविक कण होता है जिसे p से दर्शातें हैं। और इसका द्रव्यमान 1.6726219 × 10-27 kg होता है जो लगभग न्यूट्रॉन के बराबर होता है। एक परमाणु के नाभिक में मौजूद प्रोटॉनो की संख्या और नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाने वाले इलेक्ट्रॉनो की संख्या बराबर होती है। इस प्रकार से परमाणु का धनावेश और ऋणावेश का संतुलन बना रहता है।
प्रोटॉन पर +e = +1.602176634×10−19 C (कूलम्ब) का धन आवेश मौजूद होता है और इलेक्ट्रॉन पर लगभग इसी मात्रा में -e = -1.602176634×10−19 C (कूलम्ब) का ऋण आवेश मौजूद होता है। परमाणु अपनी सामान्य स्थिति में उदासीन होता है और न्यूट्रॉन विद्युत आवेश रहित उदासीन कण है।
दुनिया में मौजूद हर परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन की मात्रा होती है। नाभिक का चक्कर इलेक्ट्रॉन लगाते हैं जो ऋणावेश होते है। प्रोटॉन का धनावेश और इलेक्ट्रॉन ऋणावेश परमाणु की संरचना को स्थाई बनाए रखने में मदद करते हैं। परमाणु के नाभिक में मौजूद न्यूट्रॉनो की वजह से प्रोटॉन आपस में प्रबल नाभिकीय बल से बंधे रहते हैं।
प्रोटॉन कि खोज किसने की थी – Proton Ki Khoj Kisne Ki Thi
प्रोटॉन की खोज अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने सन 1919 में किया था। हालांकि यूजेन गोल्डस्टीन सबसे पहले बताया था कि परमाणु से धनात्मक कण का प्रवाह हो रहा है। इसके बाद में रदरफोर्ड ने इस धनात्मक कण के बारे में शोध किया और उस कण को प्रोटॉन नाम दिया। इसलिए रदरफोर्ड को ही प्रोटॉन की खोजकर्ता के रूप में जाने जाते हैं।
प्रोटॉन की खोज कैसे हुई थी – Proton Ki Khoj Kaise Hui Thi
शुरुआत में जब परमाणु की खोज हुई तो सभी वैज्ञानिको ने दावा किया कि परमाणु पर कोई विद्युत आवेश नहीं होता है अर्थात परमाणु एक विद्युत उदासीन कण होता है। लेकिन सन 1897 में जे .जे .थॉम्पसन ने इलेक्ट्रॉन कि खोज की और बताया कि इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित कण है जिस पर लगभग -1.602176634×10−19 C का ऋणावेशित मौजूद होता है।
इलेक्ट्रॉन की खोज के बाद सभी वैज्ञानिक चिंता में पड़ गए कि जब परमाणु में कोई विद्युत आवेश नहीं नहीं है तो इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित कैसे हो सकता है। तब वैज्ञानिकों ने सोचा परमाणु के अन्दर कोई न कोई ऐसा कण जरुर मौजूद है जिसके पास इलेक्ट्रॉन के बराबर धनावेश मौजूद होगा।
इसके बाद जे .जे .थॉम्पसन ने खोज किया कि परमाणु के अन्दर एक धनात्मक तत्व मौजूद है जो इलेक्ट्रॉन ऋण आवेश के बराबर है। लेकिन सर जे .जे .थॉम्पसन के इस परमाणु मॉडल में कई प्रकार की कमियाँ थी जो चीजों को सही तरीके बताने मे असक्षम रहा। इसी वजह से उन्हें इस शोध की मान्यता नहीं मिली और उनका यह परमाणु मॉडल फेल हो गया।
इसके बाद सन 1907-1919 में रदरफोर्ड उस धनावेशित चीज को खोज निकाला और उस कण का नाम प्रोटॉन दिया। उन्होंने बताया कि प्रोटान में +e (+ 1.602176634×10−19 C) जितना धनात्मक आवेश होता है ठीक इसी के बराबर इलेक्ट्रॉन में उतना ऋणात्मक आवेश होता है। इसके अलावा प्रोटान का द्रव्यमान 1.6726219 × 10-27 किलोग्राम होता है जो इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान के 1,840 गुना है अधिक होता है।
प्रोटॉन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
- प्रोटान, परमाणु के नाभिक में उपस्थित रहता है।
- प्रोटान धनावेश कण होता है।
- प्रोटॉन का द्रव्यमान 1.6726219×10−27 किलोग्राम होता है।
- प्रोटॉन का द्रव्यमान न्यूट्रान के द्रव्यमान के बराबर होता है लेकिन इलेक्ट्रान के द्रव्यमान की तुलना में 1,840 गुना अधिक होता है।
- प्रोटॉन पर विद्युत् आवेश + 1.602176634×10−19 C (कूलम्ब) होता है।
- किसी भी तत्व या पदार्थ में कम से कम एक प्रोटॉन जरुर उपस्थित रहता है।
FAQs – Proton Ki Khoj
प्रोटॉन की खोज अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने सन 1920 में कि थी।
प्रोटॉन का द्रव्यमान 1.6726219 × 10-27 किलोग्राम होता है।
प्रोटॉन पर विद्युत आवेश + 1.602176634×10−19 C (कूलाम) होता है।
निष्कर्ष
मुझे उम्मीद है आपको यह पोस्ट प्रोटॉन की खोज किसने की थी (Proton Ki Khoj Kisne Ki Thi) जरुर पसंद आयी होगी। अब आप जान गए होंगे कि प्रोटॉन की खोज अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने सन 1920 में कि थी।अगर आपके मन में इस पोस्ट से जुड़े कोई सवाल या सुझाव है तो नीचे कमेंट करके जरूर बताएं हमें आप लोगो की मदद करने में खुशी मिलती है।
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