क्या आप जानते है OSI Model क्या है (What is OSI Model in Hindi) और इसमें कितने Layer होते है? OSI Model एक reference model है, जिसका इस्तेमाल दैनिक जीवन में नहीं किया जाता बल्कि इसी पर आधारित TCP/IP (Transmission control protocol/ Internet Protocol ) model है जिसका इस्तेमाल किया जाता है.
OSI Model डाटा के गतिविधियों को दर्शाता है कि जब कोई डाटा एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क में जाता है डाटा में क्या क्या बदलाव होते है. एक डाटा को बहुत सी Layer से होकर गुजरना पड़ता है. तो चलिए आगे और जानते है कि OSI Model क्या है और डाटा को कौन कौन से Layer से होकर गुजरना पड़ता है.
OSI Model क्या है – What is OSI Model in Hindi
OSI का फुल फॉर्म Open System Interconnection है. OSI model 7 layers से मिलकर बना होता है। इन सभी layers में डाटा के साथ कुछ ना कुछ परिवर्तन होता है. एक Layer में Data Processing होने के बाद डाटा दूसरी layer में पहुँच जाता है. प्रत्येक layer पर data को अलग अलग नामों से जाना जाता है।
OSI Mode एक Reference Model है जो किसी नेटवर्क में दो यूजर (Sender और Receiver) के बीच Communication कराता है. इसमें Layers दोनों तरफ होती है यानी Sender और Receiver. इसमें Sender की आखिरी Layer Receiver की पहली Layer बन जाती है जैसा की निचे चित्र में दिखाया गया है.
OSI मॉडल की 7 परतें (7 Layers of OSI Model in Hindi)
OSI model 7 Layers से मिलकर बना होता है, इन सभी Layers का अलग-अलग कार्य रहता है. आईये इनके बारे में विस्तार से जानते हैं.
एप्लीकेशन लेयर – Application Layer
यह सबसे ऊपरी परत होती है जो यूज़र की एप्लीकेशन और नेटवर्क के बीच इंटरफ़ेस प्रदान करती है जैसे कोई वेब ब्राउज़र (Internet Explore, Chrome, Mozilla Firefox,safari, Opera) या कोई ईमेल (Outlook, Zoho, Thunderbird) इत्यादि. ये सभी Applications यूजर को नेटवर्क में काम करने के लिए इंटरफ़ेस प्रदान करती है.
प्रेजेंटेशन लेयर – Presentation Layer
Presentation Layer OSI मॉडल की छठवी परत है जो डाटा Presentation के लिए जिम्मेदार होती है. यह Layer डाटा का Encryption कर आगे भेजती है. डाटा Encrypt होने से हैकिंग का खतरा नहीं रहता है. इसके साथ ही डाटा Verify करती है, जिससे Sender द्वारा भेजा गया डाटा Receiver को समझ में आना चाहिए, जैसे यदि Sender Image भेज रहा है तो उसका Format (jpg ,png) चेक करना.
सेशन लेयर – Session Layer
यह OSI मॉडल की पाचवी परत है जिसका काम है sender और receiver के बीच नेटवर्क कनेक्शन (session establish) को स्थापित करना. यह session को तब तक कण्ट्रोल करती है जब तक पूरा डाटा transfer ना हो जाये और data transfer होने के बाद उस session को समाप्त कर देती है। यदि कोई session बीच में ही break हो जाता है तो यह Layer दुबारा उसे synchronization करती है.
ट्रांसपोर्ट लेयर – Transport Layer
Transport Layer OSI मॉडल की चौथी परत है जो Sender द्वारा भेजे गए डाटा को Receiver तक पहुचाने की जिम्मेदारी उठाती है. Transport Layer को End -to- end layer भी कहा जाता है जो डाटा ट्रांसमिशन की गारंटी देती है. ये Layer दो प्रकार की Service प्रदान करती है – Connection Oriented Transmission और Connection less Transmission.
Connection Oriented Transmission – इस Transmigration को reliable transport method भी कहा जाता है. यदि Sender द्वारा भेजे गए डाटा में कोई error है तो receiver request करता है दुबारा डाटा भेजने के लिए. यह डाटा के error free होने और सही तरीके से पहुचने की guarantee देता है.
Connection less Transmission – Connection less Transmission.Connection Oriented Transmission की तुलना में कम Reliable और डाटा transmission की कोई guarantee नहीं देता.
नेटवर्क लेयर – Network Layer
Network Layer OSI मॉडल की तीसरी परत है जो network communication के लिए उत्तरदायित्व होती है. यह Layer Routing और Switching services प्रदान करती है और साथ ही error handling, packet sequencing, internetworking, और addressing को कण्ट्रोल करती है. Network layer तीन sub layer से मिलकर बना होता है.
Sub network Access – यह Interface को नेटवर्क के साथ जोड़ने के लिए जिम्मेदार होता है. यह एक प्रकार का protocol कहा जाता है.
Sub network Dependent Convergence – यह Transport layer Network layer में डाटा पहुचाने के लिए जिम्मेदार होता है.
Sub network Independent Convergence – इसका इस्तेमाल Transportation को कण्ट्रोल करने के लिए किया जाता है.
डाटा लिंक लेयर – Data Link Layer
यह OSI मॉडल की दूसरी परत है जो layer network के अंदर data Transportation को कण्ट्रोल करती है. इस Layer में डाटा frames में convert हो जाता है, जिससे डाटा को भौतिक माध्यम सेभेजा जा सके और इस प्रक्रिया को framing कहते है. जब डाटा Network layer से Data link layer में आता है तो यह डाटा में Header और Trailer जोड़ देता है, फिर इसे Physical layer में transfer कर देता है. और यदि डाटा Receiver की ओर से आ रहा है तो यह डाटा में से Header और Trailer को अलग कर देता है और फिर Network layer को transfer कर देता है.
फिजिकल लेयर – Physical Layer
Physical Layer OSI मॉडल की पहली परत है और इसमें डाटा bits में convert हो जाता है. bit में 0,1 का मान होता है. इस layer में डाटा प्राप्त होता है Data Link Layer द्वारा किसी ट्रांसमिशन माध्यम के साथ मे. जैसे कि अगर डाटा ट्रांसमिशन के लिए metallic cable का इस्तेमाल किया गया है तो यह डाटा को electrical signal में convert कर देगा, और अगर fiber optical cable का इस्तेमाल किया गया है तो डाटा को luminous signals में convert कर देगा, तथा wireless network के इस्तेमाल से डाटा को electromagnetic signal में convert कर देता है.
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