करवा चौथ की रात को पति-पत्नी क्या करते हैं – करवा चौथ श्रद्धा भाव से उपवास रखने का त्योहार है। इस दिन हर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए कामना करती है और ईश्वर से आशीर्वाद लेती है।
करवा चौथ का वृत्त हिन्दू धर्म की महिलायें मुख्य रूप से रखती हैं। यह व्रत हर वर्ष कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता हैं। इस व्रत में सुहागिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती है और रात में अपने पति के हाथ से पानी पीकर वृत्त तोड़ती हैं।
करवा चौथ से जुड़े लोगो के मन में कई सवाल चलते रहते हैं जैसे करवा चौथ की रात को पति-पत्नी क्या करते हैं, पहली बार करवा चौथ कैसे करें, करवा चौथ क्यों मनाया जाता है आदि। इन सभी सवालों के जवाब आपको इस पोस्ट मिलेंगे। इसलिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।
करवा चौथ की रात को पति-पत्नी क्या करते हैं – Karwa Chauth Ki Raat Pati Patni Kya Karte Hain
करवा चौथ वृत्त का इन्तजार हर सुहागिन महिलायें बड़ी बेसब्री से करती हैं। इस दिन महिलाएं पूरा दिन निर्जला वृत्त रखती हैं। रात में चांद की पूजा करने के बाद चलनी के द्वारा अपने पति का चेहरा देखती हैं। इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर वृत्त को तोड़ती हैं।
इस मौके पर पति अपने पत्नी को कुछ न कुछ गिफ्ट देते हैं। और जीवनभर साथ निभाने का वादा करते हैं। इसके बाद पत्नी भोजन करती है।
पहली बार करवा चौथ कैसे करें – Pahli Baar Karwa Chauth Kaise Kare
करवा चौथ का वृत्त सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी लड़कियां भी वृत्त रखती हैं। अपना मनपसंद लाइफपार्टनर पाने के लिए कुंवारी लड़कियां करवा चौथ का वृत्त रखती हैं। लेकिन अगर किसी लड़की की शादी तय हो चुकी है तो वह वह अपने होने वाले पति के लिए करवा चौथ व्रत रख सकती है।
इस दिन महिलायें निर्जला वृत्त रखती हैं और रात में चंद्रदेव को अर्ध्य देने के बाद वृत्त तोड़ती हैं। अगर आप पहली बार करवा चौथ वृत्त रखने जा रहीं हैं तो इस वृत्त नियम पता होना चाहिए। यहाँ पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि पहली बार करवा चौथ कैसे करें।
- करवा चौथ का वृत्त निर्जला वृत्त होता है यानी आपको सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक कुछ भी ग्रहण नहीं करना है।
- इस दिन महिलायें 16 श्रृंगार करती हैं। लेकिन करवा चौथ व्रत में काले या सफेद रंग के कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है।
- अगर आपका पहला करवा चौथ है तो आप शादी का जोड़ा पहनकर पूजन कर सकती हैं। अगर शादी का जोड़ा पहनना संभव नहीं है तो कोई उजले रंग के नारंगी, लाल, पिंक, पीले आदि रंग के साड़ी या लहंगा पहन सकती हैं। हालांकि लाल रंग का वस्त्र पहनना ज्यादा शुभ माना जाता है।
- करवा चौथ का पहला वृत्त रखने के लिए लड़की के मायके से सरगी आती है इसमें मिठाइयां, तोहफे और मेवे उपहारस्वरूप भेंट शामिल होती हैं।
- इस महिलायें करवा चौथ व्रत की कथा सुनती हैं और उसके बाद अपनी सास को बायना देती हैं जिसमे साड़ी, श्रृंगार और उपहार शामिल होते हैं।
- करवा चौथ के
- इस दिन महिलाओं को किसी पर क्रोध या विवाद नहीं करना चाहिए। और ना ही व्रत करने वाली महिला को अपशब्द या दिल दुखाने वाली बात बोलनी चाहिए।
- करवा चौथ के दिन तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं। लेकिन भोजन में लहसुन-प्याज जैसी तामसिक चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- इस दिन किसी को दूध, दही, चावल या उजले वस्त्र का दान नहीं करना चाहिए।
- शाम को सुहागिन महिला चंद्रमा को जल का अर्घ्य देती हैं। और फिर फिर चलनी में चांद और पति को देखती हैं।
- पति अपने हाथों से पत्नी को पानी पिलाकर उनका व्रत खोलवातें हैं। और उन्हें भी भोजन करवाते हैं।
करवा चौथ क्यों मनाया जाता है – Karwa Chauth Kyon Manaya Jata Hai
पौराणिक कथाओं के अनुसार करवा नाम की पतिव्रता स्त्री थी। एक दिन जब उसका पति स्नान करने के लिए तालाब पर गया तो मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ा लिया। वह मदद के लिए अपने पत्नी को पुकारने लगा। करवा के सतीत्व में बहुत बल था। उन्होंने तालाब पर पहुचकर अपने पति को बचाने के लिए उस मगरमच्छ को बांध दिया। और फिर उस मगरमच्छ को लेकर यमलोक पहुच गई।
यमराज ने करवा से कहा कि हे देवी आप यहां क्या कर रही हैं और आपने इस मगरमच्छ को क्यों बाँधा है। तब करवा ने उत्तर दिया कि इस मगर ने मेरे पति के पैर को पकड़ लिया था। अतः आप इसे मृत्युदंड दें और उसको नरक में ले जाएं।
यमराज ने कहा कि अभी इस मगर की आयु पूरी नहीं हुई हैं इसलिए मैं समय से पहले मगर को मृत्युदंड नहीं दे सकता हूँ। तब करवा ने कहा कि अगर आप इस मगर को मारकर मेरे पति को दीर्घ आयु का वरदान नहीं देंगे तो मैं अपने तपोबल से आपको ही ख़त्म कर दूंगी।
करवा माता की इस बात को सुनकर यमराज के पास खड़े चित्रगुप्त बहुत चिंतित हो गए। क्योंकि करवा के सतीत्व के कारण ना तो वह उसको श्राप दे सकते थे और ना ही मांग को ठुकरा सकते सकते थे। फिर उन्होंने मगर को मृत्युदंड देकर यमलोक भेज दिया और उनके पति को दीर्घ आयु का वरदान दिया। साथ ही चित्रगुप्त ने माता करवा को आशीर्वाद दिया कि और कहा कि जिस प्रकार तुमने अपने तपोबल की मदद से अपने पति के प्राणों की रक्षा की है, मैं उससे अत्यंत प्रसन्न हूं।
मैं तुम्हे वरदान देता हूं कि आज के दिन जो भी सुहागिन महिला पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ तुम्हारा व्रत और पूजन करेगी, उसके पति की लम्बी उम्र होगी। उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी का दिन था, तब से करवा चौथ मनाया जाता है।
इसी प्रकार द्वापर युग में द्रौपदी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा था। कहा जाता है कि जब अर्जुन नीलगिरी की पहाड़ियों में ताप कर रहे थे तो उनके पीछे खड़े चारों पांडवों को अनके प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। तब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को यह समस्या बताई और अपने पतियों के की रक्षा के लिए कोई उपाय पूछा।
तब भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को करवाचौथ व्रत रखने की सलाह दी थी। इसके बाद अर्जुन और उनके सभी भाई सकुशल लौट आए। तब से लेकर करवा चौथ व्रत को करने का प्रचलन शुरू हुआ।
निष्कर्ष
इस पोस्ट में हमने आपको बताया कि करवा चौथ की रात को पति-पत्नी क्या करते हैं। करवा चौथ का वृत्त सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखती है। रात के समय महिला चंद्रमा को जल का अर्घ्य देती हैं। और फिर फिर चलनी में चांद और पति को देखती हैं। उसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर वृत्त तोडती हैं।
अगर आपके मन में करवा चौथ से जुड़े कोई विचार हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं। साथ ही इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर भी शेयर करने जिससे अन्य लोगो को भी करवा चौथ के बारे में सही जानकारी मिलेगी।
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