उल्टा बच्चा पैदा होने के फायदे – कई महिलायें ऐसी होती हैं जिनके गर्भ में उल्टा बच्चा होता है। लेकिन केवल 3% ही महिलाओं में उल्टा बच्चा होने की समस्या देखी जाती हैं। अगर गर्भ में सीधा बच्चा है तो डिलीवरी के दौरान उसका सिर पहले बाहर आता है फिर बाकी बॉडी बाहर आती है।
लेकिन गर्भ में उल्टा बच्चा होने पर बच्चे के पैर नीचे होते हैं और सिर ऊपर होता है। इस स्थिति डिलीवरी के दौरान बच्चे के पहले पैर बाहर आते हैं और सिर सबसे बाद बाहर निकलता है। इस प्रकार की डिलीवरी को ब्रीच डिलीवरी कहा जाता है।
यह पोस्ट उन महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी होने वाला है जिनके गर्भ में उल्टा बच्चा हो जाता है। आज के इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे कि उल्टा बच्चा पैदा होने के फायदे, पेट में बच्चा उल्टा होने के लक्षण, उल्टा बच्चा पैदा होने के नुकसान, पेट में बच्चा उल्टा हो तो सीधा कैसे करें। तो इस महत्वपूर्ण जानकारी को पाने के लिए पोस्ट में अंत तक जरूर पढ़ें।
उल्टा बच्चा पैदा होने के फायदे – Ulta Bachcha Hone Ke Fayde
आपको बता दें कि गर्भ में उल्टा बच्चा पैदा होने का कोई साइंटिफिक फायदा नहीं है। एक गर्भवती महिला के गर्भ में बच्चा अपनी पोजीशन बदलता रहता है। कभी वो उल्टा हो जाता है तो कभी सीधा हो जाता है लेकिन जैसे-जैसे प्रेगेनेंसी का 9 वां महीना आने लगता है वैसे ही बच्चे का आकार बड़ा हो जाता है और घूमने फिरने के लिए कम जगह बचती है।
इस स्थिति में बच्चा के एक फिक्स पोजीशन ले लेता है और वो डिलीवरी के लिए तैयार हो जाता है। प्रेगेनेंसी के 9 वें महीने में जब बच्चा अपनी नार्मल पोजीशन लेता है तो उसका सिर नीचे की तरफ और पैर ऊपर की तरफ रहते हैं। लेकिन कुछ महिलाओं के गर्भ में बच्चा उल्टा हो जाता है। यानी बच्चे का सिर ऊपर और पैर नीचे हो जाते हैं।
जब कोई महिला अपनी प्रेगेनेंसी के आखरी स्टेज पर चेकअप कराने जाती है या सोनोग्राफी कराने जाती है और डॉक्टर आपको बताते हैं कि गर्भ में उल्टा बच्चा मौजूद है तो कई लोग टेंशन में आ जाते हैं। क्योंकि उल्टा बच्चा होने पर सिजेरियन डिलीवरी करवानी पड़ती हैं। लेकिन बार उल्टा बच्चा की भी नार्मल डिलीवरी हो जाती है।
गर्भ में बच्चा उल्टा होने के प्रकार
गर्भ में बच्चा उल्टा होने स्थिति को ब्रीच पोजीशन कहते हैं। ब्रीच पोजीशन मुख्यतः तीन प्रकार की होती है। कंपलीट ब्रीच, फ्रैंक ब्रीच और फुटलिंग ब्रीच।
- कंपलीट ब्रीच – कंपलीट ब्रीच में बच्चे के दोनों घुटने मुड़े होते हैं और उसके पैर और कूल्हे नीचे की ओर रहते हैं।
- फ्रैंक ब्रीच – फ्रैंक ब्रीच में बच्चे का सिर और उसके दोनों पैर ऊपर की ओर एवं कूल्हा नीचे की ओर रहता है।
- फुटलिंग ब्रीच – फुटलिंग ब्रीच में बच्चा गर्भ में अपने पैरों को क्रॉस करके बैठा हुआ दिखाई देता है।
बच्चा उल्टा होने के कारण
आमतौर पर प्रेगनेंसी का समय चक्र 9 महीने तक चलता है। इस दौरान गर्भ में पल रहे शिशु की स्थिति में कई बदलाव देखने को मिलते हैं जिनमें से एक गर्भ में बच्चे का घूमना भी होता है।
नौ महीने की प्रेगनेंसी के दौरान बच्चा कई बार अपनी पोजीशन बदलता है और उल्टा भी हो जाता है।
गर्भ में बच्चा उल्टा होने के कई कारण हो सकते हैं
- जुड़वाँ बच्चे होने के कारण
- पिछली डिलीवरी में भी उल्टा होने की वजह से
- एमनियोटिक फ्लूइड की कमी से
- गर्भाशय के असामान्य आकार के कारण
- बच्चेदानी में गाँठ होने के कारण
- बच्चेदानी में बहुत ज्यादा पानी होने की वजह से
पेट में बच्चा उल्टा होने के लक्षण
पेट में बच्चा उल्टा होने पर माँ को कई लक्षण महसूस होते हैं। जैसे कि अगर अगर आपके गर्भ में बच्चा उल्टा है तो माँ महसूस होगा कि पेट के निचले हिस्से में बच्चा लात मार रहा है।
इसके अलावा पेट में बच्चा उल्टा होने पर उसका सिर माँ को अपनी पसलियों के आसपास महसूस होता है। ऐसे में जरूरी होता कि गर्भवती महिला को डॉक्टर परामर्श लेनी चाहिए। डॉक्टर आपके बच्चे को सही अवस्था में लाने के लिए कुछ प्रक्रिया को कर सकते हैं।
उल्टा बच्चा होने के नुकसान
गर्भ में उल्टा बच्चा होने की बहुत कम संभावना होती है। लगभग 3% महिलाओं में उल्टा बच्चा होने की समस्या देखी जाती हैं। उल्टा बच्चा होने के कई नुकसान भी हो सकते हैं जैसे –
उल्टा बच्चा होने पर नार्मल डिलीवरी की जगह सिजेरियन डिलीवरी करवानी पड़ती हैं।
उल्टा बच्चा होने पर अगर नार्मल डिलीवरी कराया जाएँ तो बच्चे का बर्थ कैनाल में फंसने का खतरा रहता हैं।
गर्भनाल के जरिए उल्टा बच्चे को मिलने वाली ऑक्सीजन के बंद होने का भी खतरा रहता है।
बिना प्रशिक्षित गयनोक्लौजिस्ट के उल्टा बच्चे का प्रसव खतरनाक हो सकता हैं।
पेट में बच्चा उल्टा हो तो सीधा कैसे करें
अगर पेट में बच्चा उल्टा हो तो कई बार पेट पर हल्का सा प्रेशर डालने से बच्चे की अवस्था बदल जाती है और बच्चा सामान्य हो जाता है। इस प्रक्रिया को मेडिकल भाषा में ईसीवी कहा जाता हैं। लेकिन बच्चा उल्टा होने की हर अवस्था में यह तरीका काम नहीं करता है।
यदि प्रसव के दौरान बच्चा उल्टा है जिसमे बच्चे का सिर ऊपर और पैर नीचे की ओर है तो नॉर्मल डिलीवरी आसान नहीं होता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर ऑपरेशन करके ही बच्चे को बाहर निकालते हैं। हालांकि पुराने जमाने में दाई माँ उल्टा बच्चे होने पर भी बिना ऑपरेशन के सुरक्षित बच्चे को बाहर निकाल देती थीं। यह सब पूरी प्लानिंग और एक्सपीरियंस के आधार पर किया जाता था।
निष्कर्ष
इस पोस्ट में हमने आपको बताया कि उल्टा बच्चा पैदा होने के फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं। गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहा शिशु अपना पोजीशन बदलता रहता है। जिनमे से अधिकांश बच्चों का सिर नीचे की ओर आ जाता है, इसे सामान्य अवस्था माना जाता है।
लेकिन 100 में से 3-4 % बच्चे ऐसे होते हैं जिनका सिर नीचे की ओर नहीं आता है तो उसे उल्टा माना जाता है। उल्टा बच्चा होने पर नॉर्मल डिलीवरी की बजाय सिजेरियन डिलीवरी की जाती है।
डिस्क्लेमर – इस पोस्ट में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. इसलिए यहाँ पर बताई गई किसी भी दवा या मान्यता को अमल करने से पहले डॉक्टर या सम्बंधित विशेषज्ञ की परामर्श जरूर लें।
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